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सिस्टमिक स्क्लेरोसिस (स्क्लेरोडर्मा) – रोग और इसके लक्षण
स्क्लेरोडर्मा एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी है, जो कई अंगों को प्रभावित कर सकती है, और त्वचा की समस्याओं के साथ-साथ आंतरिक अंगों के कार्य को भी खतरे में डाल सकती है। यह बीमारी धीरे-धीरे विकसित होती है, और अक्सर देर से पहचान की जाती है, क्योंकि लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होते हैं। स्क्लेरोडर्मा जागरूकता दिवस का उद्देश्य इस बीमारी पर ध्यान आकर्षित करना और समाज और स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच सहयोग को मजबूत करना है। स्क्लेरोडर्मा न केवल त्वचा की समस्याएं पैदा करता है, बल्कि यह पाचन तंत्र, फेफड़े, दिल और किडनी को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। यह बीमारी संयोजी ऊतक की कोशिकाओं, अर्थात् फाइब्रोब्लास्ट…
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कठोर संयोजी ऊतकों – स्क्लेरोडर्मा रोग
सिस्टमेटिक स्क्लेरोसिस एक क्रोनिक, ऑटोइम्यून बीमारी है, जो शरीर के संयोजी ऊतकों को प्रभावित करती है और इससे प्रभावित व्यक्तियों के जीवन पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इस बीमारी के दौरान संयोजी ऊतकों का मोटा होना और स्कारिंग होती है, जो विभिन्न अंग प्रणालियों, जैसे कि फेफड़े, हृदय, गुर्दे और पाचन तंत्र के कार्य को प्रभावित कर सकती है। स्क्लेरोसिस की उपस्थिति न केवल स्वास्थ्य को खराब करती है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी खतरे में डाल सकती है। बीमारी के प्रसार के अनुमान के अनुसार, विश्वभर में लगभग 2.5 मिलियन लोगों का स्क्लेरोडर्मा का निदान किया गया है, लेकिन लक्षणों की विविधता के कारण कई मामलों में…